संन्यास, महेंद्र सिंह धोनी का: परिणाम दवाब का या सही समय पर लिया गया सही फैसला।

भारतीय टेस्ट टीम के पूर्व कप्तान और एकदिवसीय और T-20 टीम के तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आज इंग्लैंड के खिलाफ जल्द ही शुरू हो रहे एकदिवसीय और टी-20 श्रृंखला के पहले अचानक से ही सन्यास लेने  का फैसला कर के न सिर्फ भारतीय क्रिकेट बल्कि  पूरे  विश्व क्रिकेट को संकेत में डाल दिया।

महेंद्र सिंह धोनी, एक बहुत ही शांत,सभ्य और झुझारू रहे है और उनकी कप्तानी में खेलते हुए भारतीय क्रिकेट टीम ने बहुत से उपलव्धि पायी है।

सर्वश्रेष्ठ कप्तान, अध्भुत खिलाड़ी और बिलक्षण फिनिशर ये सारे तमगे काफी है उनके कद को बताने के लिए।

उनकी कप्तानी में T-20 विश्वकप, एकदिवसीय विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी ये तीनो ICC ट्रॉफी भारत ने जीते है।

2004 से अपने पर्दापण के बाद जिस तेज़ गति से इन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपना कद जमाया उतनी ही तेज़ गति से भारतीय क्रिकेट ने विश्व क्रिकेट में अपना दमखम साबित किया पर अचानक से इतना झुझारू खिलाड़ी का सन्यास लेना साबित करता है शायद वो दवाब में थे या एक खिलाडी के तौर पर अपना स्वाभाविक खेल अभी भी खेलना चाहते है।

पर उनके पिछले कुछ प्रदर्शनों के आंकड़ों के अनुसार वो दवाब में थे और उसी दवाब में उन्होंने ये फैसला लिया।

न्यूजीलैंड के खिलाफ दिल्ली में खेले गए दूसरे वन-डे मैच के दौरान टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जब बल्लेबाजी कर रहे थे, तब मैच भारत के हाथ में था। यह उम्मीद की जा रही थी कि धोनी अपने दम पर मैच जीता लेंगे, लेकिन धोनी ने 65 गेंदों का सामना करते हुए सिर्फ 39 रन बनाए और आखिरकार भारत यह मैच 6 रन से हार गया। सबसे बड़ी बात यह थी कि धोनी का हल्‍के तरीके से आउट होना। सिर्फ यह मैच नहीं, कई ऐसे मैच हैं, जिनमें धोनी की ख़राब बल्लेबाजी की वजह से भारत मैच हारा है। 11 अक्टूबर 2015 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुए पहले वन-डे मैच में धोनी का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं था। धोनी जब बल्लेबाजी करने आए तब भारत को आखिरी 60 गेंदों में 90 रन की जरूरत थी, सो यह उम्मीद की जा रही थी कि धोनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए भारत को जीत दिलाएंगे  लेकिन धोनी काफी धीरे खेले। पहले दस रन बनाने के लिए धोनी ने 17 गेंदों का सहारा लिया था। धोनी ने इस मैच में 30 गेंदों का सामना करते हुए 31 बनाए थे और भारत पांच रन से मैच हार गया था।

सिर्फ इतना नहीं 18 अक्टूबर 2015 को राजकोट के मैदान पर भारत और साउथ अफ्रीका के बीच हुए वनडे मैच में धोनी का प्रदर्शन काफी खराब था। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 270 रन बनाए थे। चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करने आए धोनी ने काफी धीमी पारी खेली। धोनी ने 61 गेंदों सामना करते हुए सिर्फ 47 रन बनाए और भारत इस मैच को 23 रन से हार गया।

इससे पहले भी कुछ मैचों में फिनिशर के रूप में धोनी का प्रदर्शन खराब रहा है। टी-20 में भी फिनिशर के रूप में धोनी विफल हो रहे हैं। 18 जून 2016 को ज़िम्बाब्वे के खिलाफ पहले टी-20 मैच में धोनी ने 17 गेंदों का सामना करते हुए 19 रन बनाए थे और भारत इस मैच को सिर्फ दो रन से हार गया था। आईपीएल मैच के दौरान भी धोनी ने कुछ धीमी पारियां खेली थीं, जिसकी वजह से उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था।

Must Read-विराट कोहली: बढ़ता हुआ कद, बिश्वक्रिकेट में

हर मैच में शानदार खेलते हुए टीम को जीत दिलाना किसी भी खिलाड़ी के लिए संभव नहीं है, लेकिन धोनी के अंदर आत्मविश्वास की कमी दिखाई देने लगी है। अब जब धोनी बल्लेबाजी करते हैं तो ऐसा लगता है कि वह काफी दवाब में खेल रहे हैं  हो सकता है कि इस दवाब की वजह से उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया हो।

कुणाल सिंह

Kunal_Singh a Counsellor by profession, Motivator and Blogger by passion. A Native of Gaya,Bihar.

This Post Has 0 Comments

  1. Anonymous

    नमस्ते,
    मै समझता हूँ, धोनी का ये बहुत उम्दा फैसला हैं।
    एक सही वक्त पर सही फैसला।

    1. Kunal Singh

      बहुत बहुत धन्यबाद
      पर शायद हमे उन्हें 2019 विश्वकप तक कप्तान न सही एक खिलाड़ी के तौर पर खेलते देखने का आनंद मिल पाए

Leave a Reply