उस नशीली रात में
उनकी आँखों में नूर देखा था हल्का हल्का सुरूर देखा था उस नशीली रात में मैने एक हसीं कोहेनूर देखा था भर लूं आगोश में उन्हें ऐसा ख़ाब मैने ज़रूर…
उनकी आँखों में नूर देखा था हल्का हल्का सुरूर देखा था उस नशीली रात में मैने एक हसीं कोहेनूर देखा था भर लूं आगोश में उन्हें ऐसा ख़ाब मैने ज़रूर…
अगर जो वक़्त रहते हम, संभल जाते तो अच्छा था। तुम्हीं जैसा जो खुद को हम, बदल पाते तो अच्छा था।। न लगती ठोकरें मुझ को, न होता दर्द फिर…
तेरी महफिल में आना भी जरूरी है रस्म ए उल्फत निभाना भी जरूरी है रूठ जाना यकीन एक अदा है मगर फिर मान जाना भी जरूरी है तिरंगे की फोटो…