ख़ता ये थी कि हमने साथ चलने की क़सम खाई

ज़मीं अपनी नहीं समझे,बता फिर आसमाँ कैसा मिला था एक मौका ये समझने का ,जहाँ कैसा ख़ता ये थी कि हमने साथ चलने की क़सम खाई सज़ा के तौर पर…

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इश्क़ ज़ंजीर तेरी तोड़ ही डाली हमने

ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली हमने बात जो ख़ुद से बिगाड़ी थी बना ली हमने देख ले हम तेरे ज़िन्दान से आज़ाद हुए इश्क़ ज़ंजीर तेरी तोड़ ही डाली…

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न जाना रूठ के हॅसती हुई आॅखों को गम दे कर

तुम्हारा प्यार पाने को फिर आये हैं जन्म ले कर तुम्हीं ने तो बुलाया है हमें फिर से कसम दे कर बुलायेगा हमें जब जब तू हम आयेगे तब यूँ…

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ख़ुदा अपने बन्दे को ऐसा हुनर दे

ग़ज़ल:--- मुझपे करम मौला ऐसा तू कर दे। हरिक दर झुके जो मुझे ऐसा सर दे।। मिलाता रहूं बस दिलों से दिलों को। मेरे दिल में ऐसा ही जज़्बा तू…

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जब मुहब्बत करो तो बेहद हो

इश्क़ में फ़ासला नहीं रखते, खुद से तुम को जुदा नहीं रखते. एक सूरज रखा है पास अपने, साथ अपने दिया नहीं रखते. हैं खुलेआम बेवफ़ाई पर, पर्दा भी बेहया…

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हसीं हम ने बहुत देखे कोई तुम सा नहीं देखा

कभी ऐसा नहीं देखा कभी वैसा नहीं देखा, अभी तक मेरी नज़रों ने तेरे जैसा नहीं देखा, यहाँ दिल्ली में मुम्बई में वहाँ लन्दन में पैरिस में, हसीं हम ने…

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गोली सरहद पे खा रहा है कोई

बेसबब मुस्कुरा रहा है कोई। दर्द शायद छुपा रहा है कोई।। सर्द मौसम में ज़र्द पत्तों सा। ख़्वाहिश-ए-दिल जला रहा है कोई।। माँ के जाने के बाद भी मुझको। दे…

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क्या तुम भी इतना ही मुझे प्यार करोगे

गऱ तुम न , इकरार करोगे क्या फिर हमसे प्यार करोगे नजरे भी तुम मिला न पाये क्या तुम आँखे चार करोगे कभी तोडा ,जोड़ा दिल को क्या तुम ये…

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प्यार सच्चा हो तो क्यूँ मिलता नहीं है

"यक़ीनन वो पढ़ा-लिक्खा नहीं है जो चेहरा आपका पढ़ता नहीं है हज़ारों ख़ूबसूरत हैं जहाँ में कोई भी आपके जैसा नहीं है न जाने कितने ग़म सहता है इंसाँ कोई…

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अब क्यों वापस बुला रहे हो तुम??

रात में मुस्कुरा रहे हो तुम चाँद को क्यूँ चिढ़ा रहे हो तुम?? फूटकर रो पड़ा जो बादल भी कौनसा गीत गा रहे हो तुम?? मुझको अपना बता के दुनिया…

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