तैमूर :- प्रेम सैफीना का, या अपनों के प्रेम पर भावनात्मक प्रहार

जैसे ही खबर सुनी के नवाबों के खानदान में नन्हे वारिस ने कदम रखा मुझे भी बहुत ख़ुशी हुयी, पर अगले ही क्षण मेरी सारी ख़ुशी छूमंतर हो गयी, कारण था इस नन्हे मेहमान का नामकरण

जैसा कि आपको ज्ञात हो इस बच्चे का नाम रखा गया “तैमूर” जो असल में एक बहुत पुराने और इतिहास के सबसे शक्तिशाली, सबसे विख्यात और सबसे खूंखार सुलतान का नाम था, जिसने काफी पहले भारतवर्ष पर आक्रमण किया था और पुरे भारतवर्ष को रौंदते हुए, हाहाकार मचाते हुए लूट-पाट का भीषण मंजर के साथ न जाने कितने भारतवंशियों का क़त्ल-ए-आम, और न जाने कितनी स्त्रियों की इज्जत और अस्मत को तार तार करती हुई अपने पीछे बस कड़वी यादें और दर्द की वेदना छोड़ गया था।

तैमूर का वास्तविक अर्थ  है “शेर का कलेजा” परंतु जैसा मैंने कहा इस नाम के साथ हमारी काफी पीड़ादायक यादें और संवेदनाएं जुडी हुई है तो इस नाम को कैसे कोई भारतीय अपना सकता था और वो भी एक ऐसे घर में आये नन्हे से मेहमान के औचित्य में जिसे न जाने हमने ह्रदय के किस कोने में विराजमान कर रखा है और न जाने कितना प्यार देते आये है।

कितनी श्रद्धा, विश्वास से हमने इस जोड़े को अपनाया था परंतु क्या इस जाने माने जोड़े से हमने अपनी भावनाओं पर ऐसे प्रहार की उम्मीद की थी कभी,

जिसे हमने जाती और मजहब के दीवारों से ऊपर उठ कर अपना माना उनका ये कदम उठाना आखिर साबित क्या करता है?

क्या वो जान-बुझ कर के हमारी भावनाओ को ठेश पहुचाना चाहते थे या फिर अनजाने में उन्होंने ऐसा किया.?

जैसा की अभी आप सभी जानते है  अभी अभी काफी ऐसे ज्वलंत मुद्दे जिनकी आग अभी भी ताज़ी है उनके बीच ऐसा एक और मुद्दा खड़ा करना, आखिर ये साबित क्या करता है?

क्या ये नाम सोच समझकर रखा गया था या ये बस एक नादानी थी सैफीना  की!

या ये हमे हमारी व्यवाह इतिहास को फिर से याद दिलवाने के लिए एक चाल एक रणनीति थी और एक कोशिश हमारे जख्मों को कुरेदने की।

अगर हां!

तो आखिर क्यों?

कुणाल सिंह

Kunal_Singh a Counsellor by profession, Motivator and Blogger by passion. A Native of Gaya,Bihar.

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