चलो आये प्यार करते है

मेरी प्रियतमा,
अभिवादन, लगभग एक साल बाद तुम्हे पत्र के माध्यम से अपने भावनाओं को तुम्हारे सामने रख रहा हूँ। यह तब लिख रहा हूं जब मै अपने आत्ममंथन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि शायद अब तुम्हारे बिना मेरा जीवन, जीवन नही है। हर पल हर साँस में तुम्हारे होने का एहशास मुझे काफी दर्द दे रहा है। तब तुम्हारी याद मेरे सामने हिलोर मारकर हवा की जैसी उड़ जाती है।
सबसे पहले तो यह की आखिर क्या है वो चीज़ तुममे जो तुमसे प्यार करवाया, मेरा मन उत्तर देता है की वो तुम्हारा भोला भला चेहरा, रेशमी बाल, काली आंखे सुन्दरता का आभा जो चमकती है तेरे चेहरे पे, गुलाबी गाल, लाल होठ यह सब कुछ भी नही।

मेरे प्यार करने की असली वजह यह की मुझे जीवन में जितनी ख़ुशी तुमसे बात करने में मिलती है उतनी कहीं नहीं मिलती। हालाँकि तुम्हारे द्वारा दिया गया धोखा अभी भी याद है फिर भी मैं अपने आप को समझाता हूँ तुम प्यार करते हो उससे(मेरे दिल से जब यह आवाज आती है तो), मै तुम्हारी धोखा, नफरत बेवफाई सब कुछ भूलकर तुम्हारे प्यार में खो जाता हूँ। मुझे संसार का सर्वश्रेस्ट रत्न तुममे नजर आता है। हिंदी में हमलोगों ने कवी आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी को पढ़ा है उनका कहना था “स्त्री संसार की सर्वश्रेस्ट रत्न है” प्रसिद्ध दार्सनिक वाराह्मिर का कहना था कि ब्रह्मा ने स्त्री के अतिरिक्त ऐसा कोई बहुमूल्य रत्न संसार में नहीं बनाया है जो हमेसा जीवन पर्यंत तक आनंद प्रदान कर सके। तुम्हारे कारण ही घर में आर्य है, काम है, धर्म है, पुत्र सुख है, सब धन, वैभव, विलाश के एक मात्र कारण तुमसे है। आज जब प्रेम सिर्फ धोखा शब्द का पर्याय सा बन गया है. तब मुझे दैविय प्रेम की याद आती है जिसमे वासना का रति भर भी स्थान नही होता है।
यहाँ तक की भगवान संकर जी ने भी शक्ति संगम तंत्र के तारा खंड में कहा है की नारी के सामान न सुख है, न गति है, न भाग्य है, न राज्य है, न तीर्थ है, न योग है, न जप है, न तंत्र है, न मंत्र है और न ही धन है। स्त्री इस संसार की सबसे प्रिये एवं पुज्निये है क्योकि नारी माँ पार्वती का रूप है, नारी शक्ति है।

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तुम्हे लग रहा होगा मै दार्शनिक बन गया हु, या पागल, आखिर कभी कभी तुम्हे लगता होगा क्या चाहता है यह मुझसे? वही न जिसके लिए आज के युवक युवती लालाचित रहते है। नही! मेरी प्रिये मेरे अन्दर तनिक सा भी उस अप्रिये काम वासना का लोभ नही जो प्राय तुम्हे संदेह देता होगा मै इश्क को गहना चाहता हु, इसका अध्यन करके इसका तरल निहितार्थ निकालना चाहता हूँ, आखिर यह संसार की सबसे अनमोल वस्तु क्यों है? आखिर क्या वो बात है जिसके न होने पर जीवन ब्यर्थ लगता है, यम मन अपसाद ग्रस्त होता चला जाता है। क्यों इसके होने पर जीवन सुखमय लगता है। इसके होने पर एक अजीब आत्मविश्वास कैसे आता है? नविन उर्जा, मन लगना, हमेशा उत्साहित रहना, आलस का त्याग  आखिर कैसे संभव हो पता है यह सब?
प्रिय, तुमसे विरह और मिलन दोनों के बिच के समय में इस उत्तर को खोजने के लिए कई कविताएँ पढ़ी, कहानियां पढ़ी, कई उपन्यास पढ़े पर कही उत्तर न मिल सका। जायसी से लेकर कुमार विश्वास को पढ़ा, प्रेमचंद से लेकर चेतन भगत और आमिरा सब को पढ़ा पर यकिन मनो उत्तर न मिल सका।
सुर दास का “वैरया प्रेम”, तुलसी दास का “पत्नी प्रेम”, सैयद बुल्ले शाह के “इश्क के दस्तूर” सब का अध्यन किया पर व्यर्थ रहा. कही भी तुम्हारे न होने पर क्या किया जाय उत्तर न मिल सका।
कभी मै स्वयं को गलत ठहराता तो कभी तुम्हारे बेवफाई पर गुस्सा आता। मन में यह सवाल आता की अगर तुम मुझसे प्यार करती तो किसी न किसी तरह से बात कर ही लेती। एक महिना बात न करने की याद भी दिल को ठेस पहुंचाती है।

 प्रिय मै अकेला नही हु इस धरती पर जो –प्रेम को पाने क लिए एक मृगमरीचका की भांति तड़प रहा हु। यहाँ कई ऐसे लोग है जो सच्चा प्रेम करते है पर बाद में बेचारे धोखा खा कर या तो मर जाते है या पागल हो जाते है।

प्यार विश्व का रनक्षेत्र में घमासान है जो मानव जाती को एक तरफ खीच लेता है जिसमे भौतिक्ता, संबंध, धर्म, कुल, जात और जीवन तक तुच्छ हो जाते है। इस इश्क के पास नागमनी के जैसे कांटे ही है। लेकिन आशिक इश्क के पास मंझूर बन जाता है तथा मुह्ब्बत के लिए अपने प्राण तक को न्योछावर कर देता है।

कभी कभी मुझे लगा की कही प्यार करना भी पाप तो नही, पर नहीं प्यार करना पाप नही मेरे प्रिय, प्यार कब, किसे, किससे और कहा हो जाय यह कहना बहुत मुस्किल है। बुलेल शाह ने इश्क दुरुहता के बारे में ओ तो यहाँ तक कहा था की “मक्का की यात्रा, गंगा स्नान, गया जी में पिंड दान आदि क्रियाएं सब व्यर्थ है, जब तक प्यार को परस्पर अनुभव नही करते”।
एक और वहम मेरे मन में आति है कि कही तुम फिर से तुम मुझे धोखा तो नही दे रही हो, यह वहम आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इसे शक भी कहा जा सकता है, इस पर किसी का एकाधिकार नही है, पर मुझे यकिन है की जिसप्रकार से मै तुम्हारे प्यार की पूजा करता हु शायद तुम भी करती होगी यम जैसे मै अपने आप को तुम्हारे लिए बचा के रखता हु तुम भी अपने आप को बांध के रखती होगी, क्योकि प्यार एक ऐसी वस्तु है जिसपर किसी का भी अधिकार नही जताया जा सकता, खास कर हम और तुम दोनों जिस उम्र में है उसमे तो कदापि भी नही। फिर भी मुझे विश्वास है की तुम उस एक खास प्यार को मेरे लिए हमेसा सहेज कर रखोगी जो मुझे पसंद है।
तुम्हारे स्पर्श, वो नशीली सुगंध, घने घने काले बाल, शरीर पर काला सूट और कान में लगे काले ……. पता नही क्या बोलते है उसे? तीखे नैनो की मार और तुम्हारी फैली बाहे, सौन्दर्यपूर्ण भरे पुरे शारीर और ऊपर से बारिश! कसम से तुम्हारी छवि मेरे दिल में उतरी हुई है। उस दिन तुम बारिश में आकाश की स्वर्ग की अप्सरा उर्वर्शी, रम्भा, मेनका आदि महान सुन्दरियों से ज्यादा खुबसूरत दिख रही थी, सबसे ख़ास थी तुम्हारी मुस्कुराहट, कातिलाना आदायें मुझे हिला कर रख देती है, और सुर्ख होटों के स्पर्श से तो पूरा शरीर रोमांचित हो चूका था और दिल जोड़ जोड़ से धडकने लगा था।

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तुम्हारी हर वह बात मुझे तुम्हारी अदा के साथ याद है जो तुमने मुझसे कही, फ़ोन पर बात करने का समय, स्थान और क्या क्या बात किये सब मुझे याद है। तेरा नाम सुनने के बाद दिल धडकना रोम रोम खड़ा हो जाना, यादे तजा हो जाना, मिलन की ख़ुशी, विरह का दुःख सब के सब आंशु बन कर निकलते है। मुझे तो लगता है क्या मै इतना अन्दर से कमजोर हु कि किसी के लिए रोने लगु? पर नही ओ आंशु सच्चे प्यार के निशानी होते है जो मोतियों की झुण्ड की तरह आँखों से बरसते है। पर इन सब के बावजूद मुझे तुमसे सिकायते है। मुझसे बहुत सारी बातें आज भी क्यों छुपाती हो? प्रिय क्या तुम्हे मुझ पर विश्वास नही या यह भी बेवफाई ही है।
पर तुम्हारी कसम अगर यह सब झूठ रहा, धोखा रहा, बेवफाई रही तो तुम मेरे इस धरती पे नही रहने की खबर सुनोगी। कसम से तुम्हारे बिना मै अब कुछ भी नही हूँ, मै तो हमेशा कहता हु मै तुम्हारा गुलाम बन चूका हु मै कभी भी किसी से बात करने के लिए माना नही किया, पर हाँ हिदयायत देता हु, क्यू की उम्र में तुमसे बड़ा हु तुमसे ज्यादा अनुभव होने के कारण तुम्हे समझाता या डांटता हूँ। तुम इस दुनियादारी से वाकिफ नही हो लोग यहाँ “उपयोग करो और फेक दो” की निति अपनाते है और तुम मासूम हो नादान हो इस दुनिया से वाकिफ नही हो, यकिन कर लेती हो किसी पर भी। भूल गए ना तुम सब कसमे और वादे। बोलो ये धोखा नही तो और क्या है? मै तुम पर अधिकार नही जाता रहा हूँ, बस खुद पर गुस्सा कर रहा हु क्योंकि तुम कोई उपयोग की केवल वस्तु नही हो तुम देवी हो, मेरे लिए तो सब कुछ हो। बहुत रोता हु तुम्हारे लिए, मेरी क़द्र करो, ख्याल रखो, मै प्यार के बदले सिर्फ प्यार ही तो मांगता हूँ।

  “चलो आएँ प्यार करते हैं”
“तुमसे गुस्सा तो बहुत है ए दिल नादान, पर इश्क चीज ही ऐसी है जो मानती नहीं”

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  1. bishwajeet

    प्रेम से ओत-प्रोत

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