ट्रेन के सफर का आनन्द नचिकेता के संग

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ट्रेन में हूँ , गया केलिए।आनन – फानन में टिकेट कइसहुँ धक्का – मुक्की करके कटा लिए हैं।किसी तरह शीट मिल गयी है।आम तौर पर भारतीय रेल के पैसेंजर ट्रेनों में चढ़ जाना पहली सफलता होती है , बैठ जाना दूसरी और उतर जाना तीसरी सफलता होती है। और अगर आप खड़े के खड़े रह जाते हैं तब तो आपका पूरा शरीर का क्या हालत होता है वो अपने शरीर से चु रहे पसीनों को देखकर मालूम हो जाता है। या अपनी शीट अगर आप किसी को दे देते हैं। तो बाकी यात्री आपको ऐसे सहानुभूति की नजर से देखने लगते हैं जैसे वो सब मण्डप में नव दंपति को आँखें गड़ा के देख रहे हों। अच्छा जब आप जेनरल बोगी में हेल रहे होंते हैं जबरदस्ती तब उसमे पहले से बैठे लोगों के चेहरों को देखिये आपको ऐसे घूर रहे होंते हैं जैसे हम उनकी शिकार हों। खैर जिस बोगी में हूँ उसमे अधिकतर महिलाएं हैं।जो की आंगनबाड़ी की सेविकाएं हैं, उनके बात चित से मालुम हुआ की वे सब पटना एक विशेष ट्रेनिंग में गए थे, दारू पियक्कड़ पकड़ो ट्रेनिंग कैंप। बड़ा अजीब हाल है नितीश जी अपना बिहार में।जिस आंगनबाड़ी पत्नी के कमाई से बेचारा मनोहरा दारु पिता था, आउ मेहरारू के बोलता था “आज भर दारु पिए ला पैसा दे दे तोरा झुमका ला देबौ अबकी के कमाई में”। एक और तो उसका दारु छीन लिए हैं आप ऊपर से उसके मेहरारू को अइसन ट्रेनिंग आप दे रहे हैं तब उ तो मरही न जायेगा महराज। तनी मनोहरो के चिंता कीजिए सुसाशन बाबू।पूरा बोगी में शराब बंदी के चर्चा हो रहा था। बंदी तो लगता है 3 मांह पहले ही हो गया था पर इन आंगनबाड़ियों के बिच आज ऐसा चर्चा छिड़ी हुई थी जैसे कल का मुद्दा हो। खैर शाहब इस प्रकार के मुद्दे बिहार में ही बनते हैं जो सदैव जीवंत रहते हैं।एक आर्मी के जबान सामने बैठे हैं साथ में उनकी पत्नी और एक नन्हा बच्चा भी है। एकदम ड्रेस में ही हैं सेना जी। महिलाओं के वाद विवाद को खूब गंभीरता से मैं सुने जा रहा हूँ सायद वो आर्मी शाहब भी। अब उनकी चर्चा धीरे धीरे शराब बंदी से मुड़कर नशा खोरी , आरक्षण , से राजनीती का रंग ले लिया एक भाजपा का खिंचाई करते हुए बोली उ देखो एक मायावती बेचारी को क्या क्या बोल रहा है। कोई ट्रेन में विधायक ही लड़की को छेड़ रहा है। जो समाज अपने नेतृत्व को चुनता है जब वो चुने जाना बाला व्यक्ति अपने को समाज से ऊपर समझने लगता है तब यही हाल होता है। इस प्रकार से वो अपना दर्शन से ओत प्रोत भाषण को विराम दी। अच्छा एक बात है जितना हमारे हिंदुस्तान में गली गली में दार्शनिक आपको मिल जायेंगे उतना सायद कही नही। अब आर्मी शाहब बोले अच्छा आप लोग इ बताइये हमलोग देश का सेवा करते हैं , और कई लोग जब हमसब को गलिआता है तब हमलोग को कैसा लगता होगा।जी हाँ ऐ वही बिहार है जहां के मंत्री कहते हैं की सेना में लोग जाते ही है मरने केलिए। खैर बेचारे सेना शाहब भी अपनी भड़ास देश के व्यवस्था पर निकाली निकाले भी क्यों नही। अपने जगह पर तो निकाल नही सकते। एक मास्टर शाहब भी बगल में हैं जो चर्चा को आँख मुनकर सुन रहे थे और हाँथ पर खैनी मल रहे थे वो बोले अरे सबसे ज्यादा पेमेंट हमनी के होबे के चाहत बानी।हमनी सब के सब चीज बनाब ही। अपना बात को रखकर ऐ पुनः गम्भीर बन गए हैं सायद मास्टर शाहब और गम्भीरता का अभिप्राय एक ही है। चर्चा अपनी रफ़्तार में है ट्रेन अपनी। हल्की वारिश का आगमन हो गया है। सब लोग फटाफट खिड़की बंद करने में लग गए हैं।अरे छोटी बेटा इधर आ जाओ उधर भींग जाओगी , एक उच्च कोटि की आंगनबाड़ी सेविका महोदया का ऐ आवाज अपनी उस जबान बेटी को थी जो ट्रेन के गेट पर कान में एयर फोन लगा के सायद सावन का महीना क्या कहना?? गाना सुन रही थी। इन सेविका का रहन सहन एक संभ्रांत परिवार का नजर आ रहा है।दोनों माँ बेटी ने 10 का एक नोट निकालकर बेदाम खरीद ली। दोनों खा रहे हैं और हमसब को घूर रहे हैं भिखारी जैसा, वो अपने आप को किसी बड़े हॉटेल में बैठे महसूस कर रहे हैं सायद।बेदाम खाकर सब खोइया बड़े अच्छे से शीट के अंदर छुपा दिया गया।और पूरा नमक तक माँ बेटी चाट गयी। अब हाँथ धोने केलिये उन्होंने अपनी खिड़की थोड़ी से उचकाकर खोलके हाथ धो ली।पर गंदगी फेकने के वक्त वो सब भींग रहे थे! अभी यही वो आंटी थी जो लगातार मोदी जी की प्रशंशा के पुल बाँध रही थी चर्चा में और अब उस काम को वो स्वयं की जिसका उपदेश वो दुसरे को सीखा रही थी।
एक युवा मेरे बगल में है इसका crpf की तैयारी कर रहा है। मैंने पूछा भाई crpf की तैयारी कहा से कर रहे हो बोला वो है एक भैया सेना अर्ध सेना में सीधी भर्ती कोचिंग।उसी में तैयारी करता हूँ। मैंने उसे शुभकामना दिया और मन ही मन सोचा वाह रे मेरा देश का युवा मुझे गर्व है ऐसे देश के नागरिक होने पर की जहां एक और नेता , विधायक , सांसद बनने की होड़ मची हो। वहां देश के रक्षा हेतु युवक सपने संजो रहे हैं।यह मेरे देश का ताकत है। भारतीय ट्रेन में आप जब सफर करते हैं तो आपको पूरी समाज नजर आ जाती है। आज मेरे वर्थ में ऐसा नजर आ रहा है। इसमें बच्चे हैं , युवा हैं , नवयुवती हैं , औरत हैं ,बुजुर्ग हैं ।एक पूरा आधुनिक समाज हमारे वर्थ में है और पूरी उम्र एवम् समाज का अनुभव।

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