न जाना रूठ के हॅसती हुई आॅखों को गम दे कर

तुम्हारा प्यार पाने को फिर आये हैं जन्म ले कर
तुम्हीं ने तो बुलाया है हमें फिर से कसम दे कर

बुलायेगा हमें जब जब तू हम आयेगे तब यूँ ही
निगाहों में वफा और हाॅथो में ये दिल सनम ले कर

यूँ भी अपनी जुदाई में मैं था निर्दोष बिलकुल ही
तुम्ही गुम हो गये थे अपने अंतस में बहम ले कर

मुहब्बत तो समर्पण है मुहब्बत तो है कुर्बानी
भला आता भी है कोई मुहब्बत में अहम ले कर

अगर उल्फत में मिलती है एक नई जिंदगी तो फिर
बेरुखी प्यार में हो तो संग जाती है दम ले कर

खुशी न दे सबको न दो मगर इतनी गुजारिश है
न जाना रूठ के हॅसती हुई आॅखों को गम दे कर

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