तुम हो न साथ मेरे!!!

आज, मेरी साप्ताहिक छुट्टी थी। मैंने काफी कुछ सोच रखा था आज के लिए, काफी दोस्तों से मिलना था, कुछ अधूरे काम भी निपटाने थे। इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी…

Continue Readingतुम हो न साथ मेरे!!!

काहे का’अखरण’

जब से नोटबंदी हुई है तब से रोज अख़बारों में कुछ नया नया सुनाने को मिल रहा है। कभी काले धन के साथ कुछ पकड़ें जाते है तो कभी कोई बैंककर्मी…

Continue Readingकाहे का’अखरण’