तिहाड़ जेल के इतिहास की पहली महिला जेलर

अबकी बार जेलर कोई पुरूष नहीं बल्कि एक महिला है। जिनका नाम है अंजू मंगला। दिल्ली की तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है क़ि किसी महिला को पुरुषों की जेल का जेलर बनाया गया हो। गौरतलब है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल पूरी तरह पुरुष कैदियों के लिये है। किसी पुरूष कैदियों की जेल को महिला जेलर मिलना ऐसा पहले मामला है।

तिहाड़ जेल में हैं 9 जेलें:

तिहाड़ में 9 जेलें हैं। अंजू मंगला इन्ही 9 जेलों में से एक जेल संख्या-7 की जेलर बनी हैं।800 कैदियों से भरी इस जेल में ओसतन 18 से 21 वर्ष तक के कैदी रखे गए हैं। ज्यादातर कैदी चोरी के इल्जाम में सजायाफ्ता हैं। लूट और दुष्कर्म के आरोपी भी इस जेल में बन्द हैं।

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अंजू इससे पहले थीं महिला जेल की जेलर:

अंजू मंगला इससे पहले तिहाड़ की महिला जेल की जेलर थीं। ये जेल संख्या-6 है ।
बतौर अंजू: मैं अपनी इस जिम्मेदारी से बहुत खुश हूँ। मेरे लिए गर्व का पल होने के साथ साथ ये एक बड़ी चुनोती भी है। लेकिन मैं खुद को साबित करके दिखाउंगी। मेरी कोशिश यही रहती है क़ि जेल से कोई भी कैदी अपराधी रहकर बाहर न निकले। जेल में कैदियों को पढ़ाया भी जाता है। ऐसे कैदी जो कम पढ़े लिखे हैं उनको आगे पढ़ाया जाता है। जेल में ही इन कैदियों की परीक्षा भी होती है। पढ़ाई के साथ साथ इन कैदियों के लिए खेलों का आयोजन भी किया जाता है।

कोई कैदी नहीं करता दुर्व्यवहार:

अंजू जी ने एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि कोई भी कैदी उनसे दुर्व्यवहार नहीं करता। वे शाम को ड्यूटी खत्म होने के बाद भी कैदियों से बात करती हैं ताकि कैदी उनके साथ सहज हो सकें। उन्होंने बताया क़ि बहुत से कैदी ऐसे हैं जोकि अनजाने में अपराध करके यहां पहुँचे हैं। तिहाड़ की पहली महिला जेलर से कैदी भी बहुत खुश हैं।

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