बेरोजगारी – चुक सरकार की या हमारी मानसिकता की मार

जैसा कि आप सब जानते है आधुनिकता और जुगाड़ के इस जमाने में देश काफी तरक्की कर चुका है, कोई भी क्षेत्र हो हमारा देश मशीनीकरण में पीछे नहीं है परंतु क्या उत्तर प्रदेश आज भी अत्यंत पिछड़ा राज्य है या वहां की मानसिकता इतनी गिर चुकी है या तत्कालीन सरकार के सारे नुमाइंदे हरामखोरी और गुंडागर्दी से इतने मानसिक रूप से असंतुलित हो चुके है कि उनमे सही और गलत का भी फर्क करने का भी मनोशक्ति नहीं रहि।।

ताज़ा वाक्या उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद नगरनिगम में सफाई कर्मचारियों के भर्ती के दैरान दिखा जिसने उत्तरप्रदेश सरकार का शर्म पुरे देश में झुका दिया।।

हुआ यों के अखिलेश सरकार कितने भी अपने विकाश कार्यों का गुणगान
कर ले पर सच्चाई ये है कि पूरे प्रदेश में आज भी लुच्चई,लफंगई और बेरोजगारी कायम है जिसका दंश वहां का शिक्षित युवा झेल रहा है।
इस सफाई कर्मचारी बहाली में 1083 सफाई कर्मचारियों के पद के लिए पूरे प्रदेश से 58 हज़ार 909 लोगो ने आवेदन किया था, जिसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता 10वि रखी गयी थी पर 10वि तो छोड़िए ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट, एमबीए और इंजीनियर भी इस पद की बहाली में परीक्षा देने पहुचे जो वहां की सरकार की उपलब्धियों को चीख चीख कर बयां कर रही थी कि पूरे प्रदेश में रोजगार की क्या दयनीय परिस्थति है।।

इसके बाद स्थिति और हास्यपद तब हो गयी जब भर्ती अधिकारियों में शारीरिक परीक्षण के दौरान सारे अभियार्थयों को कहा कि आप लोग नाले में उतर के नाला साफ़ करके दिखाओ और सारे अभ्यार्थयों को फावड़ा और कुदाल थमा कर के बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के उन्हें गहरे गहरे नालों में भगवान् भरोशे उतार दिया गया।।।
बात जब मीडिया तक पहुची तो सारे अफसर हरकत में आये और पूरे मामले को लीपा-पोती करने में जूट गये।।।
जब इस बावत परीक्षार्थियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सर डिग्री लेने से क्या फायदा जब नौकरी का अवसर ही नहीं मिलता, और जो मिलता है वो हमारे काबिल नहीं होता पर क्या करे घर परिवार भी तो देखना होता है न तो कोई भी नौकरी करनी पड़ेगी।।।

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क्या उनका ये बयान प्रदेश सरकार के लिए तमाचा नहीं है जो नित नए योजनायों और उनके सफलता के दावे करता है।।
आज बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या बन के उभरा है पुरे समाज के लिए, आज कोई भी युवा अपनी शिक्षा पर लाखों खर्च कर के डिग्री तो ले लेता है पर जब वो नौकरी करने के लिए परिबक्त होता है तो उसे असलियत समझ में आती है कि यहां अवसर काफी कम है और जो भी है काफी सिमित है, कुछ तो आपके स्तर से काफी नीचे के होते है पर सारी जिम्मेदारियों के बोझ तले काफी युवा अपने साथ समझौता करने को भी तैयार हो जाते है जिसका ताज़ा उदाहरण मुरादाबाद नगर निगम सफाईकर्मी भर्ती के दैरान देखने को मिला।।।

क्या ये बस एक पहली झलक है या आने वाली मुसीबतो का पहला पडाब जो हमे अभी भी सचेत होने की चेतावनी दे रहा है।।।
क्या हमारी प्रदेश सरकार की कोई जवाबदेही है या नहीं.? के वो कोई व्यापक कदम उठाये और हम युवाओं का भविष्य सुनिक्षित करे।।।।

कुणाल सिंह

Kunal_Singh a Counsellor by profession, Motivator and Blogger by passion. A Native of Gaya,Bihar.

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