इश्क़ ज़ंजीर तेरी तोड़ ही डाली हमने

ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली हमने बात जो ख़ुद से बिगाड़ी थी बना ली हमने देख ले हम तेरे ज़िन्दान से आज़ाद हुए इश्क़ ज़ंजीर तेरी तोड़ ही डाली…

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न जाना रूठ के हॅसती हुई आॅखों को गम दे कर

तुम्हारा प्यार पाने को फिर आये हैं जन्म ले कर तुम्हीं ने तो बुलाया है हमें फिर से कसम दे कर बुलायेगा हमें जब जब तू हम आयेगे तब यूँ…

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ख़ुदा अपने बन्दे को ऐसा हुनर दे

ग़ज़ल:--- मुझपे करम मौला ऐसा तू कर दे। हरिक दर झुके जो मुझे ऐसा सर दे।। मिलाता रहूं बस दिलों से दिलों को। मेरे दिल में ऐसा ही जज़्बा तू…

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जब मुहब्बत करो तो बेहद हो

इश्क़ में फ़ासला नहीं रखते, खुद से तुम को जुदा नहीं रखते. एक सूरज रखा है पास अपने, साथ अपने दिया नहीं रखते. हैं खुलेआम बेवफ़ाई पर, पर्दा भी बेहया…

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