सर्दी का मौसम गर्भवती महिलाओं में कई प्रकार की एलर्जी को न्योता देता है। इसलिए डॉक्टर उनको ऐसी किसी एलर्जी से बचने के लिए ख़ास ध्यान देने का सुझाव देते हैं। एक अनुमान के अनुसार, लगभग एक चौथाई गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु को सर्दी सम्बन्धी एलर्जी होती है। गर्भावस्था की इस एलर्जी से बचने के लिए इस दौरान ज्यादा मात्रा में पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। पर्याप्त नींद लेनी चाहिए और गर्म कपड़े पहन कर रखने चाहिए। इसके साथ ही अन्य बातों की सतर्कता बरतना भी जरुरी है।
इन सबसे बढ़ती है परेशानी:
सर्दियों में रूखी त्वचा या फिर जुकाम जैसी समस्याएं सामान्य हो जाती हैं। आजकल के प्रदूषण युक्त वातावरण में एलर्जी पैदा करने वाले तत्व होते हैं जो तापमान गिरने के साथ और भी घातक हो जाते हैं। अगर किसी को धूल, पराग या पालतू पशु की रुशी से एलर्जी है तो इस मौसम में यह समस्या बढ़ सकती है।
पालतू पशुओं से दूरी बेहतर:
गर्भावस्था के दौरान कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इन हार्मोनल परिवर्तनों के कारण प्रतिरक्षा तंत्र ज्यादा सक्रिय हो जाता है। जिसके कारण सालों से साथी पालतू जानवर के कारण भी बार बार छीकें आने की समस्या हो सकती है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि गर्भावस्था के दौरान पालतू पशुओं से दूर रहें।
ये करना होता है लाभदायक:
गर्भावस्था के दौरान सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान सुबह शाम सैर करनी चाहिए। रोज 30 मिनट का हल्का व्यायाम दर्द कम करने, कब्ज और सूजन कम करने में सहायक होता है। इससे गेस्टेशनल डाइबटीज में आराम मिलता है। इस दौरान नियमित व्यायाम करने से ऊर्जा बढ़ती है, मूड और पोस्चर बेहतर होता है। नियमित गतिविधियों से प्रसव पीड़ा को झेलने की क्षमता भी मिलती है।
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इन बातों का रखें ध्यान:
- मौसमी वायरसों से बचने के लिए दूसरे या तीसरे सेमेस्टर में इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाना चाहिए। इस समय प्रतिरक्षात्मक प्रणाली सबसे कमजोर होती है। इसलिए ऐसे समय में एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है।
- खाने में ठंडी चीजें खाने से बचना चाहिए। पेंट या थिनर जैसे घरेलु रसायनों से दूर रहना चाहिए। ये सब एलर्जिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ा सकते हैं। अपने कपड़ों को नियमित धोना चाहिए जिससे कि उनमें धूल न रहे। अपनी बेडशीट और तकिये को भी नियमित बदलना चाहिए।
- ठन्डे पानी से दूर रहना चाहिए एवं गुनगुने पानी से नहाना चाहिए। नहाने का पानी ज्यादा गर्म भी नहीं होना चाहिए। क्योंकि गर्म पानी सूखेपन को बढ़ावा देता है, जिससे बेचैनी महसूस हो सकती है। इसके अलावा धूम्रपान करने वालों से दूर रहना चाहिए। पैशिव स्मोक का सीधा असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है।
- हाथ पैरों को ढंककर रखना चाहिए क्यूंकि ये शीतदंश का शिकार हो सकते हैं। पंजों में सही फीटिंग वाले जूते जुराबों के साथ पहनने चाहिए क्योंकि अगर पैर गर्म रहेंगे तो पूरा शरीर गर्म रहेगा। और अगर पैर ही ठण्ड से न बचे तो सर्दी लगना सम्भव है।