एक कहानी जिंदगी

  • Post author:
  • Post category:Poetry
  • Reading time:2 mins read

गिरता रहा, उठ उठ चलता रहा।
बेबसी की आग में पर जलता रहा।
कह दिया दिल से रुक जा बस अब बहुत हुआ।
कहने को क्या सुना नही कोई, चिल्लाता रहा मचलता रहा।

अग्नि मेरे गुस्से की, लहू भाप बन उड़ता रहा।
कलश बनके दिल मेरा, पाप भर गढ़ता रहा।
तूफ़ान मेरे मन में उठा, उड़ गया आशियाना सपनों का।
बादल बन वो मेरे जीवन पे, बहता गया बढ़ता रहा।
हुआ नहीं उपाय कोई, तबाह तबाह कर दिया।
रात हुई मैं सो गया दर्द दवा कर दिया।
उठा नहीं सोया ऐसा, अनकही वो नींद थी।
दिल मेरा उस नींद नें दबा दबा भर दिया।

है एक कहानी जिंदगी, लिखो तो क्या खूब लगे।
अंत में वो दांत भी टूटे, जो थे भी नहीं दूध लगे।
पाना कुछ है नही, है सारा जीवन ये बेमानी।
सुनहरे दिखे जो पत्ते, असल में वो भी थे बूँद लगे।

Also Read-ऐ हवा जाके कह दे तू उनसे

Also Read-बिन पानी सब सून, कण्ठ भीगे ना चून

Also Read-चलो आये प्यार करते है

Leave a Reply