सफर मेरा :- तुझसे परे, साथ तेरे !!!

जुगणुयों जैसा था मैं, छोटा सा परन्तु प्रकाशवान, लघु सा, पर विचरने वाला पूरा अकल्पनीय अथाह आसमान, ताजे हवाओं की भांति यहाँ से वहाँ गतिमान, सपने थे कुछ मेरे भी,…

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तुम हो न साथ मेरे!!!

आज, मेरी साप्ताहिक छुट्टी थी। मैंने काफी कुछ सोच रखा था आज के लिए, काफी दोस्तों से मिलना था, कुछ अधूरे काम भी निपटाने थे। इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी…

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