जाने कैसे करें अपने दिन का भरपूर प्रयोग

एक मशहूर अमेरिकी एक्टिविस्ट ने कहा था, ‘बीता हुआ कल इतिहास है, आने वाला कल एक रहस्य है, और आज का दिन एक गिफ्ट है’ बात पते की है। बिता हुआ कल फिर लौट के नहीं आता। उसको हम बस इतिहास के तौर पर ही जानते हैं। आने वाले कल का हमें कोई अता पता नहीं। इसलिए यह एक रहस्य है। कल क्या होगा कोई नहीं बता सकता सही सही। और आज का दिन एक गिफ्ट है, इसीलिए इसको प्रेजेंट कहा जाता है। यही समय का वो हिस्सा होता है जो हमारे नियंत्रण में है। यही हमारा आने वाला कल बनाता है और यही हमारा इतिहास बनाता है।

तो ये बहुत मायने रखता है कि हम इस गिफ्ट को किस प्रकार प्रयोग करतें है। अक्सर लोग समय की कमी की शिकायत करते हैं। ‘हमें तो फलां काम के लिए समय ही नहीं मिला।’ ये वाक्य अक्सर सुनने को मिल जाता है। चलिये जानते हैं कि दिन का किस तरह इस्तेमाल करें की समय का भरपूर उपयोग हो सके:

करें गेम प्लान तैयार:

समय बचाने का सबसे अच्छा तरीका है लगातार समान शक्ति से काम करना। अक्सर ऐसा होता है कि सुबह जब कोई काम करते हैं तो पूरी ताकत लगा देते हैं। जैसे जैसे दिन आगे बढ़ता है ऊर्जा कम होती जाती है। ये एक बड़ी समस्या होती है। क्योंकि काम करने की इच्छा होते हुए भी थकान की वजह से हम काम को टाल देते हैं। हमेशा ऊर्जावान बने रहने का एक तरीका है कि दिन के अपने लक्ष्य लिख लिए जाएँ। लिख लेने का मतलब है, काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए गेम प्लान तैयार करना। अपनी प्राथमिकताएं तय करें। ऐसा करने से आप जरूरी काम पहले करेगे। और कोशिश यह करें कि किसी और गैर जरूरी काम में ऊर्जा जाया न हो।

अपने दिन का पुनः मूल्यांकन करें:

कुछ लोग दिनभर काम करते हैं। लगातार व्यस्त रहते हैं। लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि दिनभर क्या किया? तो उनके पास बताने को ज्यादा कुछ नहीं होता। ऐसे में यह समझने की जरुरत होती है कि उनका समय कहाँ बरबाद हुआ। इसे जानने का सबसे अच्छा तरीका है अपने दिन का पुनः मूल्यांकन करना। एक एक घंटे को सिलसिलेवार देखेंगे तो पता चलेगा कि कैसे कैसे समय यूँ ही नष्ट होता चला गया। हर दिन के खत्म होने के बाद रात को सोने से पहले इस आकलन को कुछ समय जरूर दें। इससे आप यह जान पाएंगे कि कोन सा गैर जरूरी काम आपको कल नहीं दोहराना है।

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जो कर रहें हैं उसी पर ध्यान दें:

कई बार ऐसा होता है कि आप काम के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होते पर आप काम करना शुरु कर देते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं होता। पूरी तरह तैयार होने का मतलब है जो काम आप करें आपका पूरा ध्यान उसी पर रहे। जब नाश्ते की टेबल पर हों तो अपना पूरा ध्यान परिवार के साथ पर देना चाहिए। जब ड्राइव कर रहें हो तो उसी पर कंसन्ट्रेट करें। इससे आपको अपने काम में आनंद भी आएगा। अगर ऑफिस का काम नाश्ते की टेबल पर करेंगे तो इसका दूसरा पक्ष यह होगा कि परिवार में अधूरी रही बातें ऑफिस में आपके दिमाग में आएँगी। इसका परिणाम यह होगा कि आप न तो दोनों जगह पूरा ध्यान दे पाएंगे और न ही समय का सही सही उपयोग कर पाएंगे।

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